केरल की सच्ची कहानी

man gf440df4b6 1280 1 » केरल की सच्ची कहानी
Kerala story

सत्यपाल मलिक एक एमएलए रह चुके हैं। यूपी स्टेट असेंबली के फिर टू टाइम राज्य सभा एमपी रह चुके हैं। उसके बाद एक लोक सभा एमपी रह चुके हैं। अलीगढ़ से फ्री है। यूनियन मिनिस्टर ऑफ स्टेट पर पार्लियामेंट्री अफेयर्स इन टूरिज्म बने और फिर पिछले 6 सालों में यह गवर्नर रह चुके हैं। बिहार जम्मू एंड कश्मीर गोवा और मेघालय के अब आम तौर पर जो को इतने सीनियर पॉलिटिशन इतने बड़े इंसिडेंट को लेकर कोई बड़ा खुलासा करते हैं। इतना बड़ा बयान देते हैं तो मीडिया पर इसे 24 घंटे प्ले किया जाता है। लेकिन हमारे मेंस्ट्रीम मीडिया ने और टीवी चैनलों ने उनके बयान को ऑलमोस्ट ब्लैक आउट कर दिया, जिसकी बात तक नहीं करेंगे। हमारे टीवी चैनलों में बैठे एंकर जो अपने आप को देशभक्त और नेशनलिस्ट कहते हैं, इन्हें हमारे जवानों की कोई परवाह नहीं थी, लेकिन यहां पर बात करनी इसलिए जरूरी है क्योंकि यह मुद्दा नेशनल सिक्योरिटी का है। हमारे जवानों की जिंदगी का है। समझने की कोशिश करते हैं आज के वीडियो में।

सत्यपाल मलिक ने पहले इंटरव्यू दिया प्रशांत टंडन को उनके यूट्यूब चैनल पर फिर सीनियर जर्नलिस्ट करण थापर ने उनका इंटरव्यू दिया और फिर रवीश कुमार ने मैनली इन सारे इंटरव्यूज में तीन बयान उनके थे जो काफी स्टैंड आउट कि उन्होंने कहा कि पुलवामा हमले में पाकिस्तान का हाथ से जरूर था लेकिन सरकार की मशीन जी की नेगलिजेंस को इग्नोर नहीं किया जा सकता। जब प्रधानमंत्री मोदी और एनएसए अजीत दोवाल के पास कोई चीज को पूछने तो उन्होंने उन्हें चुप रहने को कहा। दूसरा उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी इन इन्फॉर्म हैं और कश्मीर के बारे में इग्नोर एंड और तीसरा उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी को करप्शन से कोई बहुत नफरत नहीं है। आइए देखते हैं 2014 से जो यहां पर सिचुएशन बनी रही थी, उसे समझने की कोशिश करते हैं। साल 2014 में लोकसभा इलेक्शन हुई थी जिसमें भारतीय जनता पार्टी को एक बड़ी जीत मिली थी। एक बड़ा पॉइंट इन के मेनिफेस्टो में था। आर्टिकल 370 को हटाना इसी महीने बाद दिसंबर 2014 में इलेक्शंस होती है। जम्मू एंड कश्मीर किस डेट में जहां 2 मिनट रुक? 

पॉलीटिकल पार्टीज पहली पीडीपी पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी जिस के चेहरे थे मुफ्ती मोहम्मद सईद और उनकी बेटी महबूबा मुफ्ती और दूसरी एनसी यानी नेशनल कॉन्फ्रेंस जिनके मेन चेहरे थे। फारूक अब्दुल्ला और उनके बेटे उमर अब्दुल्ला की कांग्रेस 

और बीजेपी इलेक्शन कमीशन के अनुसार record-⁠breaking सालों में ऐतिहासिक था। 65% लोगों ने वोट डाला होता है। 2014 के नेशनल इलेक्शंस के वोटर टर्नआउट ऐतिहासिक को बॉयकॉट करने की मांग उठाई थी। लेकिन कश्मीरी जनता ने इस बॉयकॉट की मांग को नजरअंदाज किया और भारी संख्या में वह वोट देने आए 

कश्मीरी लोगों ने इंडियन डेमोक्रेटिक प्रोसेस में अपना पेट दिखाया। इलेक्शन के रिजल्ट में एक सॉन्ग है। फैमिली देखने को मिली गवर्नेंस करूं। पोस्ट किया गया काफी बातचीत हुई चर्चा हुई डिस्कशन हुई। अलग-⁠अलग पॉलीटिकल पार्टीज के बीच में और दो पार्टी रिलायंस में ऊपर करें।

बीजेपी और पीडीपी एलाइंस काफी अजीब थी क्योंकि कई मुद्दों पर इन दोनों पार्टी के विचार एक-⁠दूसरे से काफी अलग है। लेकिन फिर भी कोलेशन के लिए यह डॉक्यूमेंट सामने लेकर आए जिसे नाम दिया गया। जेंडर ऑफ द लाइन कई कॉमन ग्राउंड के पॉइंट बताएं जैसे कि डेवलपमेंट को लेकर हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट को लेकर यह दोनों एक दूसरे से सहमत हैं। एक और ऐसा पॉइंट था। आप्पा को लेकर आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल पावर एक्ट कहा गया कि दोनों पार्टी जगरी करती है कि इसे रिव्यु किया जाना चाहिए। आर्टिकल 370 के बारे में कहा गया कि जो प्रेजेंट पोजीशन है, वह मेंटेन रहेगी। ऑन ऑल कॉन्स्टिट्यूशन प्रोवेशन सिविल लाइंस में मुफ्ती मोहम्मद सईद को चीफ मिनिस्टर घोषित किया जाता है। वहीं करते हैं लेकिन जनवरी 2016 में उनका देहांत हो जाता है। फिर से गवर्नर लगाया जाता है जब मन कश्मीर पर फिर से कंसल्टेशन होती है बीजेपी और पीडीपी के बीच में।

अप्रैल 2016 को नई चीफ मिनिस्टर बनती है। महबूबा मुफ्ती जम्मू एंड कश्मीर के इतिहास में फर्स्ट वूमेन चीफ मिनिस्टर, लेकिन 2 साल आगे बढ़े जून 2018 में रिजाइन कर देती है। चीज की पोजीशन से मजबूरन जब बीजेपी अपना सपोर्ट पीछे हटा लेती है। इसको लेशन से उसके गवर्नर एनएन वोहरा को एक लेटर लिखा जाता है। यही चीज एक्सप्रेस करते हुए और जो बीजेपी के जम्मू एंड कश्मीर के इंचार्ज

राम माधव वो कहते हैं कि पार्टी के लिए अनटेनेबल बन गया था। इस कोलिशन सरकार में बने रहना एक बार फिर से गवर्नर शुरू लगता है और अगस्त 2018 में हमारी कहानी के मेन किरदार की एंट्री होती है। सत्यपाल मलिक जम्मू एंड कश्मीर के अगले गवर्नर बनते हैं। नवंबर 2018 में महबूबा मुफ्ती ट्वीट करती है। जून a50, 6 एम एल एस का सपोर्ट मिल चुका है। 12 कांग्रेस से 15 नेशनल कांफ्रेंस लेकिन दूसरी तरफ उनकी राय बल सजग कहते हैं। पीपुल्स कांफ्रेंस जिनके पास सिर्फ 2 एमएलए थे कि उन्हें भी सरकार बनाने के लिए मैनेजमेंट चुके हैं, उनके पास बीजेपी का सपोर्ट है और और 18 एम एल एस का सपोर्ट है तो सवाल यह कि सरकार।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

About Author

Hii, I am Sachin Yadav!
I am a prolific author, possesses a deep passion for writing on diverse subjects such as politics, education, and finance. With a keen eye for detail and a gift for insightful analysis, he delves into these complex topics with unwavering dedication